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परियों की दुनिया, चलो घूम आएं..

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नींद में अक्सर  लोग ऐसी जगह का  सफ़र करते हैं। जिसकी कल्पना से ही लोग सातवें असमान में उड़ने लगते हैं , और  अगर बात परियों की हो तो बच्चों से लेकर बड़े तक एक अलग दुनिया में चले जातें है .... आज एक ऐसी कहानी जो एक अलग ही दुनिया में ले जाएगी। एक ऐसी जगह जो असमान में बदलो के बीच में थी। वहां पे एक फूलों का बड़ा सा महल था चारों  तरफ खुशबू ही खुशबू थी रंग बिरंगी तितलियाँ भ्रमण करती थी। उसी खुशनुमा माहोल में रंग बिरंगी परियां भी रहती थी। जिनके नाम नीली परी , हरी परी , गुलाबी परी ,पिली परी , जिसमे से सबसे छोटी परी लाल परी थी जो की बहुत  ही खुबसूरत थी जिसके कदमों की आवाज से ही कलियाँ खिल जाती थी और उसका दिल बहुत ही कोमल , नाजुक और दया से भरा हुआ था जो की बहुत ही चनचल थी । परियों की रानी जो की सुनहरी परी थी वो बाकि की सभी परियों को प्यार करती थी और सबका ख्याल भी रखती थी, जिसमें जिसमे से सबसे ज्यादा प्यार वो लाल परी को करती थी क्योंकि वो सबसे छोटी थी। पूरण मासी  में सभी परियां धरती पे आकर खेला  करती थी। एक दिन पूरण मासी में...

याद आता है बचपन

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जीवन के एक ऐसे पड़ाव में जब लोग को उनके बचपन की याद आती है तो सबसे पहले छवि उनके बाल्यकाल की बनकर उभरती है। जिसे याद करके सभी के चेहरे पे एक नटखट हंसी आ जाती है। जब हम छोटे-छोटे कदमों से स्कूल जाते थे , कभी स्कूल न जाने के लिए रो-रो कर पूरा घर सर पर उठा लेते थे तो कभी स्कूल जाने के लिए जिद्द करना। वो पेट दर्द का बहाना बना कर माँ के सामने नाटक करना।                                                         ये यादें एक सुनहरे पल की तरह जीवन के किसी महत्वपूर्ण हिस्से में बंद हो जाती है, लेकिन जब   ये बहार आती है , तो सुख हो या दुःख हो सभी को पीछे छोड़ कर एक अजब सी ख़ुशी होने लगती है। ये ऐसे सुनहरे पल होते है जो बीत जाने के बाद कभी लौट कर नही आते , और जीवन के हर पहलु में कहीं न कहि अपनी छाप छोड़ जातें हैं।