आधा है इश्क, आधा हो जाएगा..

नई जिन्दगी, और उसके बाद नए लोगों के बीच समय बिताना, सच में कितना अजीब होता है वो एहसास, जहाँ कहने को रिश्ते अपने होते हैं लेकिन अजब सी झिझक आ ही जाती है, तब दिमाग में ये बात आती है की सच में अपना घर अपना ही होता है जहाँ खुली चिड़िया की तरह कहीं भी उड़ सकती थी किसी से भी बिना झिझके कुछ भी बोल देती थी. मन को नए माहौल में ढलने को समय लगता है लेकिन अपनों की जगह अपने और उनके दिल में बनाने में थोडा समय तो लग ही जाता है. हाँ याद है जब आप अपने परिवार के साथ मुझे देखने आए थे तो आपके परिवार वालों के कहने के पर आपने मेरे साथ दो मिनट का समय भी बिताया था, न पहले कभी हम मिले थे और न ही पहले कभी हमने कोई बात की थी आपस में, हाँ याद आया आप तो मुझसे ज्यादा नर्वस भी थे , फिर सवालों का दौर कौन पहले शुरू करेगा हमने वो दो मिनट भी उसी ख़ामोशी में गवां दिया था. बस फिर क्या दोनों परिवार को रिश्ता पसंद आया और हो गई शादी तय, मुश्किल थमी नहीं थी अभी.. अभी तो बस आपको समझने की और जानने की कोशिश शुरू हो चुकी थी. समय बीतता गया थोड़ी जान पहचान आपके घर वालों से हो गई थी लेकिन आपसे तो बिलकुल ...