आज हुआ एक अजब सा अहसास...
जब भी हम कभी अहसास की बात करते हैं तो सामने वाले के मन में यही आता है की शायद लड़की प्यार में डूब चुकी है. लेकिन अहसास सिर्फ प्यार या अपनेपन का ही नहीं होता है. खुद के लिए कुछ कर गुजरने का वो जूनून, खुद के आत्मसम्मान के लिए सामने वाले से लड़ जाने का जूनून.. और उस जूनून में भी एक अहसास ही तो होता है. जिसके बारे में सिर्फ मैं ही नहीं ना जाने कितने लोग सोचते होंगे.
हाँ जब बात लड़कियों के आत्मसम्मान पर आ जाती है तो आपका गुस्सा और उसके लिए सामने वाले से लड़ जाना जायज है. चाहे जमाना कितना ही बूरा भला समझ ले, लेकिन बूरा-भला समझने वाला वही समाज आपकी अस्मत छीन जाने पर बिलकुल भी आगे नहीं आएगा हाँ आगे आगे जब आप इस दुनिया से अलविदा कह चुकी होंगी. तब यही समाज आपके लिए एक मोमबत्ती लेकर श्रधान्जली देगा.
हाल ही में एक छोटे से सात साल के बच्चे के साथ जो भी हुआ उससे आप वाकिफ है. दिल में अपने बच्चे की मौत का भार लिए उस माँ को भी वो अजब सा अहसास है जिसके लिए वो लड़ रही है अपने बच्चे को न्याय दिलाने के लिए वो खुद को होश में रखे हुए है. हमारे जीवन में अहसास की जगह कम नहीं है.
ये अहसास ही तो है जिसके चलते आप किसी के बारे में खुद की प्रतिक्रिया रख पाते हैं, ये वही अहसास है जो आपको आप बना कर रखता है. आज मैं जो भी लिख पा रही हूं वो सिर्फ मेरे अहसास मुझे शब्दों के बयाँ कर देते हैं.
बचपन से ही सिखाया जाता है की अगर किसी के टच का अह्स्सास गंदा है तो उसका डटकर विरोध करो. हम सब के लिए प्रद्युम्न की माँ वो सबक दे रही हैं की जीवन में कितनी भी करीबी चीज़ क्यों ना खो दो लेकिन उसके आत्मसम्मान और उसके हक के लिए हमेशा लड़ना चाहिए. ये जिंदगी हमसे क्या ख रही है जरुर है इसे समझने की.. इसे अहसास करने की...
Ye kaisa ehsas h jo tmko ho rha h
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