एक कप कॉफी और जिंदगी का सबक...

काफी समय के बाद लिख रही हूं.. अपनी कल्पना को अपने शब्दों में उतारने का ये ऐसा जरिया है जो यकीन मानिये सबसे अच्छा और सबसे सुखद है. आपके हमारे और हम सबकी जिंदगी में एक ऐसा समय जरुर आता है जिससे कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है. वो समय किसी के लिए जल्दी आ जाता है तो किसी के लिए बाद में. पर हाँ जब भी आता है एक गजब का तजुर्बा दे जाता है.


 जिंदगी में ऐसा मुकाम जरुर आता है जिसमें आपकी जिंदगी आपको उलझी हुई सी लगने लगती है. शब्दों से भरे अटपटे सवालों का जंजाल ऐसा उलझता है की आप उससे खुद को निकाल भी नहीं पाते और फंसते चले जाते हैं. अक्सर ऐसा समय भी आता है जिसमें आपको वो सब याद आने लगता है जिसके लिए आपने खुद से बढ़कर अच्छा करना चाहा हो और उस अच्छाई से बढ़कर आपको बुराई मिलने लगती हो.


शायद ये सबके साथ होता है. समय एक सा नहीं होता जनाब... ये कभी भूल कर भी नही भूलियेगा. इंतजार कीजिये उस समय का जब आप अपनी काबिलियत के जरिये उस सख्श को करारा जवाब देंगे, सच कहूँ तो वही सही समय होता है अपनी सफलता को सेलिब्रेट करने का.


यूं तो जिंदगी एक कप कॉफी की तरह भी होती है. जल्द बजी में पी तो मुंह जल जाता है और देर से पी तो ठंडी होने पर वो स्वाद ही मर जाता है. जिंदगी की लाल किताब में वो पन्ने एक ना एक दिन जरुर खुलते हैं जिनको आप कभी खोलना भी नहीं चाहते थे. लेकिन ये तजुर्बा ऐसा होता है जो जिंदगी का असल पाठ सिखा जाता है. जो जरूरी भी होता है. किसी के विश्वास को आलोचना में मत बदलिए की वो फिर कभी भी किसी पर विश्वास ना कर पाए..

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