तुम्हारा ख्याल, दोस्तों के नाम

काफी दिनों के बाद एक बार फिर से कुछ लिखने को दिल चाहा, लिखना कुछ ऐसा चाह रही हूं जो आपके दिल को छू जाए। कुछ ऐसा जो दिल में उतर जाए। बात दिल को छू लेने और दिल में उतरने की हो तो, लगता है कि अपने प्यार के बारे में लिख जाऊं।  हां वही प्यार जो खास होता है, दिल के करीब होता है, और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, जिसके बिना जिंदगी, जिंदगी नहीं लगती। ये प्यार है अपनी मां से, अपने पिता से, भाई से, बहन से, किसी खास से और सबसे अजीज दोस्तों से।



आज सुबह दफ्तर में तुम्हारे बगल में बैठी थी, तुम कुछ लिख रहे थे शायद। हां तुम लिख ही तो रहे थे, कुछ शब्द पिरो रहे थे, अपने दोस्तों के नाम। शब्दों की माला को पिरोकर वो एहसास उन शब्दों में डालने की तुम्हारी कोशिश साफ नजर आ रही थी तुम्हारी आंखों में। तुम्हारे एहसास को तुम्हारी उंगलियाँ बयां कर रही थी। जो तुम लिखना चाह रहे थे, वो सब तुम्हारी उंगलियाँ बड़े ही शौक से वर्ड पैड पर लिखती चली जा रही थीं। लेकिन तुम बीच में ही रुक गए। ये कहते हुए की आज मैं कुछ खास लिखूँगा अपने दोस्तों के नाम। मैंने भी तुमसे बोला था कि तुम्हारे इन शब्दों को मैं पूरा करूंगी। तुमने झट से अपनी उंगलियों रोकते हुए मेरी तरफ देखा और उठ गए अपनी कुर्सी से। पता है मुझे... वो गुस्से में बुलकुल नहीं था। मजाक में ही सही वो गंभीरता तुम्हारे चेहरे से उड़ सी गई थी। माफ करना बहुत अजीज हो तुम मेरे लिए। तो जो ठान लिया वो ठान लिया। मैं ही तुम्हारे शब्दों को पूरा करूंगी। हां फीलिंग थोड़ी सी अलग होगी, लेकिन कोशिश तो पूरी होगी ना।



आइडिया तुम्हारा ही सही लेकिन थोड़ा सा क्रेडिट मुझे भी दे देना इस दोस्ती के नाम पर....मेरे इन शब्दों को। सच कहूं तो दोस्ती कैसे निभाते हैं, तुमसे ही तो सीखी है। तुम्हारे दोस्त मेरे भी तो दोस्त बन गए, मुझे पता ही नहीं चला। दस्ती और दोस्तों के बीच सारे दुख दर्द कैसे दूर हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता है। हां यही तो दोस्ती है, जहां न तेरा होता है और न ही मेरा, टिफिन बॉक्स एक लेकिन दावेदार अनेक। हां थोड़ा जुदा अंदाज तो है तुम दोस्तों का। एक अलग ही स्वैग, एक अलग ही रंगबाजी, जहां खड़े हो जाए 'जमीन अपनी है' वाली फीलिंग अपने आप या जाती है। तुम मेरे लिए खास हो लेकिन, तुम्हारे खास दोस्त और दिल के टुकड़े तुम्हारे लिए सबसे अजीज। जो शायद मेरे भी खास हो चुके हैं।



मेरे शब्दों को मैं तुम्हारी दोस्ती के नाम पिरोने की कोशिश तो बहुत कर रही हूं लेकिन, पता नहीं क्यों दिल और दिमाग में एक अजब सी लहर दौड़ रही है। मेरे शब्द मेरे ख्याल और मेरी कोशिश पर हावी से हो रहे हैं। कहना चाहूँगी जो भी लिखा, तुम्हारे नाम और उन सारे दोस्तों के नाम जो मेरे भी बेहद करीब हैं। क्योंकि इनके बिना तो जिंदगी है और न ही कोई पल खास बन सकता है। यार है तो वो हर पल यादगार है जिसे जीने के लिए दिल बार-बार शोर मचाता है, यार है तो धड़कन भी है। बिना धड़कन के कैसे जिया जाए ये तो सोचा भी नहीं जा सकता।



माफ करना तुम्हारे थोड़े से शब्दों को मैंने चुराया है, लेकिन जो भी है जैसा भी है तुम और तुम्हारे जिगर के टुकड़ों के लिए है। क्योंकि ये दोस्ती ऐसे ही बरकरार रहे, इस दोस्ती को किसी की भी नजर न लगे। सब साथ रहे और खुश रहे हमेशा।

(नोट-ये शब्द मेरे अपने हैं, जो दिल से लिखे गए गए हैं)

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