काश...
क्या कहूँ...निःशब्द हूं.हां ये मानती हूँ कि आज जो मैं अपनी प्रतिक्रिया इस प्लेटफ़ॉर्म में रखने वाली हूँ, उस बारे में पूरा देश बात कर रहा है, ये प्रतिक्रिया थोड़ी देर से दे रही हूं, लेकिन दिल नहीं माना तो एक लंबे अरसे के बाद लिख रही हूं। सुशांत सिंह राजपूत के जाने का गम बहुत गहरा है। लेकिन उससे भी ज्यादा गम उनके यूं चले जाने की वजह का है। वजह डिप्रेशन..वजह भेदभाव..वजह हजारों की भीड़ में उस इंसान को अकेले छोड़ देना जो आँखों में सपने लिए स्ट्रगल कर रहा है.
किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने से इस बात का अंदाजा न लागाएं की वो तो खुश है, बेहद खुश...क्योंकि चेहरे पर उसकी मुस्कुराहट जो रहती है. लेकिन यकीन मानिए वो इंसान असल में अकेलेपन की उन गहराइयों में डूब रहा होता है...जहां से उसे वापस लाना सामने वाले को तब ध्यान में लाता है जब वो कुछ सुशांत जैसा कर जाता है, फिर क्या अफसोस और काश के अलावा हमारे पास कुछ नहीं होता...न ही वो समय और न ही वो इंसान


💔
ReplyDelete:)
Delete👍😭
ReplyDeletethankyou
DeleteAgree with u
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