ये कनपुरिया बारात है जनाब, टिफिन बिना काम नहीं चलेगा

भाई कानपुर को क्या कहा जाए. जितनी तारीफ करो उतनी कम. अब ज्यादा सोचने की जरूरत नही आपको क्योंकि आपको यही लग रहा होगा की ये कोई नया ट्रेंड है क्या जो अब टिफिन भी ले जाना पड़ेगा? अरे कानपुरियों ऐसा कोई भी नया ट्रेंड नही हैं. हम तो बात कर हैं बारातों की जो कहीं भी जाम की वजह बन बैठती हैं.
अब भाई बारात है तो उसमे लोग डांस में इस तरह खो जाते हैं की क्या कहा जाए. भाई क्यों न खोएं.. इसी दिन का इन्तेजार जो होता है. बस उनका ये इन्तेजार इस कदर कानपुरियों के उपर भारी पड़ जाता है की उनको घंटो जाम में फंसना पड़ता है. जब घंटो जाम में फंसना हो तो सबसे अच्छी नसीहत यही होगी की भईया कानपुरियों अपना खाना साथ ही रखें. न जाने कब जरूरत पड़ जाए.
शहर में शादियों की तो भरमार हो गई है. और इन शादियों को लेकर यातायात इस तरह प्रभावित है की किसी अधिकारी का ध्यान तक नहीं जाता. कनपुरिये बेचारे 2 कदम चलते हैं की फिर जाम लग जाता हैं. जब भी बारात निकलनी होती है तो दूसरी तरफ oneway तो twoway में बदल जाता है. अब जाम की क्या बात की जाए जाम तो वैसे भी आम है और शादियों के सीजन में जाम को भी खुमार चढ़ जाता है.

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