'माँ'

माँ जितना छोटा सा शब्द, लेकिन पूरी दुनिया ही समाई है, मौत के रास्ते बहूत होते हैं लेकिन जन्म के सिर्फ एक वो है मां, जब हम छोटे हुआ करते थे माँ की कोई भी बात नहीं मानते थे, मानों जिसके लिए वो मना करती थीं हम जानबूझ कर वही काम किआ करते थे, और फिर बदले में मिलती थी मां की डांट, लेकिन अब जैसे जैसे हम बड़े हुए समय गुजरता गया और मेरा मेरी माँ के साथ रिश्ता भी गहराता चला गया..



आज मैं और मेरी मां के बीच ऐसा रिश्ता बन चुका है जैसे हम कोई सहेली हों, मैं तो दिनभर से रात तक की सारी खबर माँ के पीछे पीछे चलके सुनती हूँ. फिर मां की भी बारी आती है और हम दोनों ही एक दुसरे में सारी दुनिया ढूंढ लेते हैं, मैं अपनी माँ के पास रहती हूँ हाँ थोड़े बहूत झगड़े होते हैं और विवाद भी कम नहीं होते हमारे बीच लेकिन सच में माँ आप मेरी जिन्दगी में मेरे लिए बेहद खास हो,,  

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