यहां थूंक दिया ना, तो बता रही हूं पीट दूंगी...

गुस्सा तो बहुत आता है..जब तुम यूँ चलती कार नहीं तो बस की खिड़की से अपना मुंह निकाल कर थूंकते हो,  तब मन में आता है की तुमको पीट दूँ,. ये सोच किसी पतिंगे की तरह दिल में आती है, फिर दिमाग पर, और अंदर ही अंदर जुबान पर भी आ जाती है लेकिन किस्मत तुम्हारी अच्छी है की ये जुबान से बाहर नही आ पाती. विश्वास मानो और मोदी जी की बात भी.  काहे अपने मुंह की तरह सड़क गंदी करने में तुले हुए हो.. हाँ बात अलग है मुंह जैसा भी है तुम्हारा है लेकीन सड़क का क्या??  वो तो हम सबकी है न..



रहने दो और जाने दो तुम्हारे बस का नहीं, अपनी लाइफ में चाहते हो की कोई हूर की परी आए, लेकिन जनाब हूर की परी चाहिए तो अपनी शक्ल को एक बार शीशे में देख लो और मुंह खोलकर अपने दांतों को भी देखना मत भूलना. तब कोलगेट, पेप्सोडेंट, और वो कौन सा टूथ पेस्ट होता है जो दांतों को सिर्फ सात दिन में चमचमाते मोती जैसा बना देते हैं?? नहीं तब कुछ भी काम नहीं आएगा.

मसाला न सिर्फ तुम्हारे दांतों को गंदा करता है बल्कि दूसरों के आगे तुम्हारे चरित्र की भी पूरी तरह से वाट लगा देते है, अब ये मत सोचना की एक कुल्ला करके तुम जो खिलखिला के हंसते हो वो काबिल-ए-तारीफ है.
मसाला कितना खतरनाक है तुमसे बेहतर कौन समझता है, और अपने दोस्तों यारों को बड़ी ही अदा और नजाकत के साथ केसर, कमलापसंद, रजनीगन्धा, राजश्री ऑफर करते हो न तब देखने वालों का खून सातवे आसमान में खौलने लगता है खासकर मेरे जैसे लोगों का, भाई सम्भाल जाओ आज तम्बाखू निषेध दिवस को ध्यान में रखो खुद का मुंह साफ़ रखो साथ में सड़क भी.
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