अपनी अल्हड़ जवानी सम्भालिये जनाब, जो राह चलते मचल जाती है..
माना जनाब आप अब 18 के पूरे हो चुके हैं, और आपके पंखों ने तो 18 से पहले ही उड़ान भरनी शुरू कर दिए थे, लेकिन रुकिए और जरा सम्भालिये, आप खुद से नहीं अपनी अल्हड़ जवानी से जो आपको कुछ देर के मज़े के बदले में पूरी जिन्दगी भर की परेशानी में डाल सकती है.
जब रस्ते में चलते हो बगल से निकली लड़की को आगे से पीछे तक और उपर से नीचे तक किसी एक्सरे मशीन की तरह ट्रैश कर जाते हो, तब दिल में सुकून तो बहुत मिलता होगा.. है ना, फिर क्या चल देते हैं अपने रस्ते पर, अब भाई जवान हो उपर से भगवान ने आंखे तो दी हैं उसका इस्तेमाल भी नही करोगे क्या, अगर नहीं किया तो मर्द कहां कहलाओगे..?
मर्द कहलाना और लड़कियों को मर्यादा का पाठ पढ़ाना, कौन से स्कूल के मास्टर ने सिखा दिया, क्योंकि घर में तो ऐसा कोई भी नहीं सिखाता, ये छोड़ो और ये बताओ बीच राह में चलते किसी लड़की पर फब्दियाँ कसना कौन से एक्स्ट्रा क्लास में सीख लिया. असल में टैलेंटेड हो बिना किसी के सिखाए, बिना किसी के पढाए तुम तो कांड पे कांड ही किए जा रहे हो.
लड़कियां 18 की नहीं होती क्या?? लड़कियों के पास ऑंखें नहीं होती क्या... क्या फर्क है..?? फर्क तो बहूत है.. बताने बैठे ना तो यकीन मनो बहने राखी बंधना छोड़ देंगी.. हिम्मत है तुम्हारे अंदर तो आँखों में आंखे डालकर बात करो तब कसो फब्दियाँ,. हिम्मत नहीं है.
क्यों बेचैन हो जाते हो अगर कोई तुम्हारी बहन की तरफ कोई आँख उठाकर भी देख ले, गुस्सा आता है ना?? आएगा क्यों नहीं अपनी बहन, बहन है और दूसरों की बहने आंखे सेकने की पावरफुल मशीन. देखो बात की बात ये हैं की अपनी छिछोरी हरकतों पर कंट्रोल करो, और अपनी अल्हड़ जवानी को मचलने से बचालो, वरना फंस गए ना तो मम्मी भी याद नहीं आएंगी.
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Kya khoob likha h....
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